सामूहिक वर्षीतप में तप अनुमोदन का आयोजन 
बालोतरा
'जैन समाज में समन्वय की जो झलक देखने को मिलती है वो समूचे देश में एक उदाहरण है। जैन वर्ग हर सामाजिक कार्य में एकजुट होकर उसे इस तरह अंजाम देता है कि वो लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाता है। वर्षीतप की तपस्या जो यहां शुरू होने जा रही है, वह समूचे सिवांची क्षेत्र में तप की महिमा का अनूठा संदेश देगी।' ये उद्गार उपाध्याय मणिप्रभसागर ने वर्षीतप पारणा समिति की ओर से आयोजित सामूहिक वर्षीतप में तप अनुमोदन पर आयंबिलशाला भवन में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि इस विशिष्ट तप का शुभारंभ भगवान आदिनाथ ने किया था और जो तपस्वी इस तप की आराधना कर रहे हैं, वो अपने मन की एकाग्रता एवं संयम रखें। इस मौके पर उपाध्याय ने श्रेयांस कुमार, प्रभु महावीर एवं आदिनाथ भगवान के समय की गई तपस्या का उल्लेख किया और तपोत्सव की महिमा धन्ना अणगार के तपोमय जीवन का गुणगान किया। कार्यक्रम के दौरान साध्वी डॉ. विद्युतप्रभा ने कहा कि वर्षीतप की तपस्या बालोतरा श्रीसंघ से प्रारंभ हो रही है। यह अनुपम अवसर है कि इस तपस्या में करीब दो सौ से अधिक आराधक जुड़े है। इसकी जितनी अनुमोदना की, जाप उतना कम है। उपाध्याय के इतने महत्वपूर्ण कार्य है। उनको वहां पहुंचना जरुरी है, परंतु इस अनूठे एवं भव्य आयोजन की बात आते ही उन्होंने सहजता से इसे स्वीकार किया। उन्होंने वर्षीतप के तपस्वियों के प्रति मंगल कामना करते हुए कहा कि यह तप पूरा दादा आदिनाथ के चरणों में इक्षु रस से पारणा करें। साध्वी नूतन प्रज्ञा ने आचार्य की महिमा को प्रस्तुत करते हुए कहा कि पंच परमेष्टि में उपाध्याय चौथा पद है। आचार्य पद जहां आचरण में महास्रोत का अभिव्यंजक है, वहीं उपाध्याय पद विद्या का चमचमाता ओजस्वी दिवाकर माना जाता है। समाज के ज्ञान पक्ष को उपाध्याय ही मजबूत दिशा प्रदान करते हैं।

साध्वी ने कहा कि बालोतरा का जैन वर्ग पुण्यशाली है, उन्हें उपाध्याय मणिप्रभसागर की निश्रा मिली। बालोतरा खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष अमृत सिंघवी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए वर्षीतप से संबंधित रूपरेखा प्रस्तुत की। समारोह में ओसवाल समाज अध्यक्ष मदन चौपड़ा, तेरापंथ समाज अध्यक्ष शांतिलाल डागा, स्थानकवासी समाज के उपाध्यक्ष ओम बांठिया, मूर्तिपूजक संघ के अध्यक्ष गणपतचंद पटवारी, बाड़मेर समाज संपत ठेकेदार, खीमराज भंडारी, टीकमचंद जैन का तिलक, श्रीफल व माला से अभिनंदन किया गया। समिति के उपाध्यक्ष गौतम बोथरा, सचिव शांतिलाल चौबसी, मुख्य सहयोगी हनुमानचंद सिंघवी, मूलचंद महाजन, ओम दांति, नेमीचंद मेहता, मिश्रीमल बोहरा, जुठमल बाफना, महावीर चौपड़ा, अमृत पारख, हनुमानचंद चौपड़ा, कमलेश सर्राफ ने सभी का बहुमान किया। इससे पूर्व हनुमानचंद सिंघवी परिवार की ओर से सामैया किया गया। समारोह का संचालन माणक चौपड़ा ने किया। समारोह में उत्तमचंद मेहता, गौतम आशापुरा, मोहनलाल चौपड़ा, नारायणचंद गोगड़, अशोक बागरेचा, अशोक भाईजीवाला सहित बड़ी संख्या में तपस्वी व श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थे। 

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